रघुवंश प्रसाद सिंह : प्रोफेसर से लेकर नेतानगरी तक का सफर

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खबरीलाल डेस्क। समाजवादी आंदोलन के एक बड़े नेता माने जाने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन के साथ ही समाजवाद के एक युग का अंत हो गया. खांटी ग्रामीण परिवेश की वेश-भूषा वाले रघुवंश बाबू बहुत ही ज्ञानवान और सामाजिक-ऐतिहासिक विषयों के अच्छे जानकार थे. इनकी शैक्षणिक योग्यता कुछ यूं थी कि इन्होंने साइन्स से ग्रेजुएट और गणित में मास्टर डिग्री हासिल की थी.

पत्रिका में लेखन से राजनीति जीवन की शुरुआत : सीतामढ़ी के एक कॉलेज में गणित पढ़ाने वाले डॉ.रघुवंश प्रसाद सिंह 1962 में ही डॉ.राम मनोहर लोहिया की पत्रिका ‘चौखंभा राज’ में लिखने लगे थे. उसी दौर में वे कर्पूरी ठाकुर की नजर में आए और इनकी राजनैतिक योग्यता को देख कर कर्पूरी ठाकुर ने इन्हें अपने साथ जोड़ लिया. इसके साथ ही रघुवंश बाबू की राजनीति की सफर शुरु हो गई जो सन 1974 के छात्र आंदोलन में उन्होंने गहरा छापा छोड़ा.

नरेगा यानि मनरेगा को लेकर काफी चर्चा में रहे : गणित के प्रोफेसर की नौकरी से जीवन की शुरुआत करने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह ने केन्द्रीय मंत्री तक की यात्रा की. वह राज्यसभा को छोड़कर शेष सभी तीन सदनों के सदस्य रहे. विधान परिषद के सभापति और विधान सभा में डिप्टी स्पीकर रहने का भी उन्हें सौभाग्य था. केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में नरेगा (आज का मनरेगा) योजना ने उन्हें देश में एक अलग पहचान दी. इस कारण वह सभी राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं के चहेते रहे. यूपीए टू में जब राजद केन्द्र की सरकार में शामिल नहीं था तब भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उन्हें मंत्रिमंडल में लेना चाहते थे. लेकिन अपने नेता लालू प्रसाद को छोड़कर उन्होंने मंत्रिपरिषद में जाने से उन्होंने इनकार कर दिया.

कभी नहीं छोड़ा आरजेडी का साथ : लगभग तीन दशक से वे लगातार लालू प्रसाद से जुड़े रहे. दलिय आस्था कुछ ऐसी थी कि किसी भी परिस्थिती में इन्होंने पार्टी से किनारा नहीं किया. इनकी इन्हीं विशेषताओं से लालू प्रसाद इन्हें प्यार से ब्रह्म बाबा कहते थे और राजनैतिक गलियारों में ये इसी नाम से जाने जाने लगे थे. मगर पिछले दिनों अचानक पार्टी से रघुवंश बाबू नाराज हो गए थे और तीन दिन पहले इस्तीफा तक दे दिया था.

समाजवाद के युग का हुआ अंत : तीन दिन से लालू यादव रूठे रघुवंश बाबू को मनाने में लगे थे. लेकिन इस बार रघुवंश बाबू नहीं मानें और सबों से नाराज कर दुनिया को अलविदा कह दिये. उनके जाने के साथ ही एक प्रखर समाजवाद के युग का अंत हो गया.

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