नागपुर :ड्रग सप्लायर से 15 हजार रुपए की िरश्वत लेने के मामले में 16 जनवरी को पकड़ी गई मेयो डीन डॉ. मीनाक्षी गजभिये को शनिवार को 51 घंटे बाद जमानत मिल गई। डीएमईआर ने डीन के निलंबन की फाइल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास भेजी है, लेकिन अब तक हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। जबकि पुलिस हिरासत में 48 घंटे से अधिक होने पर सवाल खड़े होने लगे हैं, क्याेंकि मामला मुख्यमंत्री के शहर का है।
15 हजार की रिश्वत का मामला
उल्लेखनीय है कि 16 जनवरी को मेयो डीन डॉ. गजभिये एवं ब्यॉज हॉस्टल मेस संचालक विजय मिश्रा को 15 हजार रुपए की रिश्वत लेने के मामले में हिरासत में लिया गया था। मंगलवार 17 जनवरी को वह मेयो में िदखावे के िलए ओपीडी और कैजुअल्टी का राउंड लेने पहुंची थीं और फिर सरेंडर करने की जगह फरार हो गईं। लगातार एसीबी की दबिश से परेशान होकर 18 जनवरी को दोपहर 3 बजे उन्होंने एसीबी ऑफिस में सरेंडर कर िदया था। इसके बाद से वह पुलिस हिरासत में थीं और 19 जनवरी को उन्हें एक दिन की पुलिस हिरासत में भेज िदया गया। शनिवार 20 जनवरी को शाम करीब 5 बजे सेशन कोर्ट से जमानत मिल गई।
नहीं हो पाए मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर
घटना को चार दिन से ज्यादा का समय हो गया है, जबकि डॉ. गजभिये 51 घंटे पुलिस की हिरासत में रह चुकी हैं। इसके बाद भी उनके निलंबन की फाइल पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर नहीं हो पाए हैं। उधर, डीएमईआर डॉ. प्रवीण शिंगारे का कहना है कि मुख्ममंत्री के फाइल पर हस्ताक्षर हाेने के बाद ही वह निलंबन की आधिकारिक पुष्टि कर पाएंगे।
घटनाक्रम पर एक नजर…
सोमवार 16 जनवरी को शाम करीब 6 बजे रिश्वत लेने के मामले में मेयो डीन डॉ. गजभिये पर तहसील थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई। पूछताछ के बाद सुबह बुलाया गया, लेकिन मंगलवार को सुबह 10 बजे प्राथमिकी के 16 घंटे बाद वह नहीं पहुंचीं और फरार हो गईं। फरारी के 29 घंटे बाद गुरुवार दोपहर 3 बजे उन्होंने सरेंडर किया। पुलिस हिरासत के करीब 51 घंटे बाद शनिवार को वह जमानत पर रिहा हो गईं। इस दौरान वह एक दिन की पुलिस रिमांड पर भी रहीं।
जांच में दोषी पाए जाने पर बर्खास्तगी
सिविल सेवा के नियमानुसार 48 घंटे तक पुलिस हिरासत में रहने पर निलंबित किया जा सकता है। इतना ही नहीं संबंधित विभाग खुद भी विभागीय जांच कर बिना परिणाम आए बर्खास्तगी की कार्रवाई कर सकता है।
-एड. प्रकाश जयस्वाल, अध्यक्ष, डिस्ट्रिक बार एसोसिएशन