गठजोड़ की राजनीति पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही बहस
पूर्व प्रधानमंत्री समेत कई दलों के अध्यक्षों पर है आरोप
अलीगढ़ : ये ऐसा केस है, जिसका नतीजा गठबंधन की सियासत को भी प्रभावित कर सकता है। करीब चार साल पहले दायर अर्जी में आपत्ति की गई है कि एक पार्टी जिसके खिलाफ चुनाव लड़ती है, उससे ही सत्ता पाने के लिए गठबंधन कर लेती है? इससे मतदाताओं की भावनाएं आहत होती हैं। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में बहस चल रही है। अगली सुनवाई 24 फरवरी को है।
फ्लैश बैक : 2009 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अचानक विरोधी दलों ने गठजोड़ बना लिया। आलमबाग, भमोला निवासी खुर्शीदुर्रहमान ने इस पर आपत्ति की। कोर्ट में दाखिल अर्जी में उनकी दलील है कि उन्होंने और उनके समर्थकों ने बसपा को वोट दिया था। बसपा प्रत्याशी की अलीगढ़ में जीत हुई। बाद में, उन्होंने कांग्रेस को समर्थन दे दिया। इससे उन्हें खासा धक्का लगा। यह उनके समेत अन्य मतदाताओं से भी विश्वासघात है। रालोद ने भी भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस से गलबहियां कर लीं और रालोद अध्यक्ष अजित सिंह केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री तक बन गए। इस बारे में जून-09 को चुनाव आयोग और 24 जून 2009 को प्रधानमंत्री कार्यालय से भी आरटीआइ में सूचनाएं मांगीं। स्थानीय प्रशासन से सूचनाएं नहीं दीं तो 17 दिसंबर 2010 को राष्ट्रपति से इन राजनीतिक दलों के खिलाफ रिपोर्ट के लिए याचिका दायर की। शिकायती पत्र राज्यपाल व सीबीआइ तक भेजे। सीबीआइ ने प्रदेश सरकार को मामला रेफर कर दिया। एसएसपी के आदेश पर सीओ तृतीय ने जांच आख्या में प्रार्थना पत्र निरस्त करने की मांग की। खुर्शीदुर्रहमानने चार दिसंबर-12 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, बसपा प्रमुख मायावती, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव व रालोद प्रमुख अजित सिंह के खिलाफ केस दर्ज करने को सीजेएम कोर्ट में अर्जी दी। मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता सरदार मुकेश सैनी के मुताबिक कई दिन चली बहस के बाद याचिका खारिज हो गई। वे हाईकोर्ट गए, मगर वहां भी याचिका खारिज हुई। सुप्रीम कोर्ट में बहस चल रही है। 24 फरवरी को अगली सुनवाई है। नतीजे पर सभी की निगाहें हैं।