केंद्र पर बढ़ेगा बोझ, ये राज्य भी किसानों का कर्ज माफ करने के लिए मांग रहे हैं फंड

किसानों के कर्ज माफी की बढ़ सकती है मांग

किसानों के कर्ज माफी की बढ़ सकती है मांग

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री का चुनावी वादा पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश के किसानों का 36 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ होने के बाद देश के कई राज्यों से कर्जमाफी की मांग तेज हो रही है. जहां बीते 3 हफ्तों से तमिलनाडु के किसान दिल्ली में धरने पर बैठे हैं वहीं कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री से यूपी की तर्ज पर अपने किसानों का कर्ज माफ करने के लिए गुहार लगाई है. अब यूपी के फैसले के बाद जाहिर है बाकी राज्य भी सरकारी खजाने से हजारों करोड़ रुपये खर्च कर किसानों का कर्ज पाटने की कोशिश करेंगे जिसका सीधा दबाव केन्द्र सरकार के खजाने पर पड़ेगा.

तमिलनाडु: बीते 140 साल में सबसे गंभीर सूखे की स्थिति झेल रहे तमिलनाडु ने केन्द्र सरकार से 39,565 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की गुहार लगाई थी. राज्य सरकार के मुताबिक केन्द्र सरकार यूपी की तर्ज पर उसे वित्तीय सहायता मुहैया करा ए जिससे वह किसानों का कर्ज माफ करने का फैसला ले सके. तमिलनाडु ने मांग की है कि राज्य के किसानों का सहकारी बैंक के साथ-साथ राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिया कर्ज भी माफ किया जाए.

महाराष्ट्र: उत्तर प्रदेश में किसानों का कर्ज माफ होने के बाद बीजेपी शाषित महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडनवीस सरकार पर भी कर्ज माफ करने का दबाव बढ़ गया है. एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना ने मुख्यमंत्री को 3 दिन के अंदर किसानों के कर्ज माफी पर फैसला लेने का अल्टीमेटम दिया है. महाराष्ट्र में किसानों के ऊपर 30,500 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है और राज्य सरकार इस कर्ज को माफ करने के लिए केन्द्र सरकार से मदद की गुहार लगा रही है. राज्य सरकार का मानना है कि राज्य के खजाने से इस कर्ज की भरपाई करना नामुमकिन है.

पंजाब: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र से मुलाकात कर राज्य में कर्ज के बोझ तले दबे किसानों की मदद करने की गुहार लगाई. प्रधानमंत्री को लिखे पत्र के मुताबिक पंजाब में किसानों पर कुल 80,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. इस कर्ज में 12,500 करोड़ रुपये का कर्ज सहकारी बैंकों से लिया गया है. राज्य में प्रति परिवार कर्ज लगभग 8 लाख रुपये है.

इन राज्यों के अलावा आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओडीसा और पश्चिम बंगाल भी किसानों के कर्ज की समस्या से जूझ रहे हैं. गौरतलब है कि आंध्र और तेलंगाना को पृथक करते वक्त दोनों राज्यों ने किसानों को कर्ज मुक्त करने के लिए केन्द्र सरकार से 1 लाख करोड़ रुपये की मांग की थी. लेकिन इस वक्त तत्कालीन रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कर्जमाफी की प्रक्रिया को यह कहते हुए नकार दिया था कि इससे देश के बैंकों की हालत खस्ता हो जाती है.

अब उत्तर प्रदेश में किसानों के कर्ज का बोझ राज्य के खजाने पर पड़ने के बाद और केन्द्र सरकार द्वारा मदद का आश्वासन मिलने के बाद देश के बाकी राज्यों को भी उम्मीद है कि उन्हें भी ऐसा करने का मौका मिलेगा. साफ है कि जहां यूपी में 36 हजार करोड़ रुपये से अधिक का बोझ अंतत: केन्द्र सरकार के जिम्मे आएगा वहीं अन्य राज्यों में भी कर्जमाफी का बोझ केन्द्र सरकार के खजाने पर पड़ेगा.

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