नागपुर : गड़चिरोली के भाजपा विधायक डॉ. देवराव होली की विधायकी गुरुवार को नागपुर खंडपीठ ने रद्द कर दी है। सरकारी पद का लाभ लेते हुए विधायकी नामांकन भरने के कारण न्यायमूर्ति जेड. ए. हक की खंडपीठ ने डॉ. होली को अपात्र करार दिया है। डॉ. होली के चुनावी प्रतिद्वंद्वी रहे नारायण जांभुले ने हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की थी। गुरुवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता के डॉ. होली के खिलाफ लगाए गए आरोप सिद्ध होने के कारण हाईकोर्ट ने उनका नामांकन रद्द कर दिया। कोर्ट ने गड़चिरोली विधानसभा क्षेत्र का कामकाज संबंधित सक्षम अधिकारी को करने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रदीप वाठोरे और विधायक होली की ओर से अधिवक्ता गणेश खानझोडे ने पैरवी की।
यह है मामला
डॉ.देवराव होली गड़चिरोली जिला परिषद के तहत चिकित्सा क्षेत्र में सरकारी पद पर थे। 2008-09 के दौरान वे शकुंतला मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष थे। अपनी अध्यक्षता के दौरान उन्होंने सिकलसेल प्रोजेक्ट शुरू किया था। इसके लिए संस्था को 32 लाख 82 हजार रुपए की निधि मिली थी। तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने चामोर्शी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई कि संस्था ने 50 कर्मचारियों का रिकार्ड दर्शा कर झूठे दस्तावेजों के आधार पर 8 लाख 68 हजार 363 रुपए लिए थे। इसलिए डॉ. होली और संस्था के अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ अपराध दर्ज किए गए थे। इसी के साथ प्रशासनिक अनुमति के बगैर सार्वजनिक संस्था चलाने का भी डॉ. होली पर आरोप था। आरोग्य विभाग उपसंचालक ने 14 अक्टूबर 2013 को डॉ. होली का पद से इस्तीफा नामंजूर करने की जानकारी सार्वजनिक की थी। इस्तीफा नामंजूर नहीं हुआ, तो होली ने इसे महाराष्ट्र प्रशासकीय प्राधिकरण मंे चुनौती दी, जो खारिज हो गई। इन तमाम पहलुओं को मुद्दा बनाकर याचिकाकर्ता ने कोर्ट से डॉ. होली की विधायकी रद्द करने की प्रार्थना की थी। Bottom of Form