जब योगी के मंत्री पहुंचे अचानक दफ्तर, बाबुओं की आदत देख पारा हुआ गर्म

मोहसिन रजा

मोहसिन रजा

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दो मंत्रियों ने सोमवार अपने अपने महकमे के दफ्तरों पर अचानक छापा मारा. सुबह दस बजे प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही अचानक कृषि निदेशालय पहुंच गए, वहां तमाम अफसर और कर्मचारी गायब मिले, फिर क्या था मंत्री का पारा हाई हो गया.

कृषि निदेशालय पहुंचे सूर्य प्रताप शाही
उत्तर प्रदेश में सरकार तो बदली, लेकिन दफ्तर में बैठने वाले बाबू साहबों की आदतें नहीं बदलीं. दरअसल योगी के मंत्री काम पर हैं, लेकिन उनके महकमे के कर्मचारी आराम पर हैं. पोल तब खुली जब प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही औचक निरीक्षण करने पहुंच गए कृषि निदेशालय.

दफ्तर में पसरा था सन्नाटा
सूर्य प्रताप शाही सुबह करीब दस बजे कृषि निदेशालय पहुंच गए. देखा तो दफ्तर सूने पड़े हैं. कुर्सियां खाली हैं, इक्का दुक्का कर्मचारी ही नजर जा रहे थे. मंत्री का पारा हाई हो गया, उन्होंने पूछा-दफ्तर में इतना सन्नाटा क्यों है भाई. कृषि निदेशालय के तमाम अधिकारी और कर्मचारी या तो छुट्टी पर थे, या फिर दफ्तर आए ही नहीं थे. सूर्य प्रताप शाही ने पहले तो कृषि निदेशालय के दोनों गेट बंद करवा दिए, ताकि लेटलतीफ कर्मचारी या अधिकारी भीतर न आने पाए.

 इसके बाद कृषि मंत्री ने घूम-घूमकर दफ्तर का हाल देखा, धूल धूसरित फाइलें देखीं, दफ्तर में अव्यवस्था देखी, कर्मचारियों से उन्होंने इसको लेकर बातचीत भी की. अपने महकमे के अफसरों और कर्मचारियों की मटरगस्ती मंत्री सूर्य प्रताप शाही को रास नहीं आई. वजह भी है, उत्तर प्रदेश के करोड़ों किसानों की जिम्मेदारी आखिरकार इसी महकमे पर है. कृषि मंत्री ने लेट लतीफ कर्मचारियों और अधिकारियों को सबक भी सिखाया.

गैरहाजिर कर्मचारियों के वेतन काटने का आदेश
दफ्तरों में अधिकारियों की नामौजूदगी को सूर्य प्रताप शाही ने गंभीर मुद्दा करार दिया, जो कर्मचारी दफ्तर नहीं पहुंचे थे, उन्हें मंत्री ने एक दिन के लिए अनुपस्थित करवा दिया. साथ ही गायब अफसरों का एक दिन का वेतन काटने का निर्देश जारी कर दिया. कर्मचारी समय से दफ्तर आएं, इसके लिए उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को जवाबदेह बना दिया.

कृषि निदेशालय के बाद शाही वहां की कैंटीन में पहुंच गए, उनकी आहट से पहले तेजी से सफाई का काम शुरू करवा दिया गया, फिर भी गंदगी कई जगह नजर आई. कैंटीन चलाने वाले से शाही ने पूछा कि यहां तो बहुत कम सामान है, जवाब मिला, लोग यहां नहीं आते, खाने-पीने बाहर चले जाते हैं.

प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद से बहुत कुछ बदलने की तरफ है. योगी के मंत्री फुल फॉर्म में हैं, पुलिस, प्रशासन चौकस है, पूरी नौकरशाही अटेंशन मोड में है, लेकिन सरकारी बाबूओं का रवैया अभी पुराना ही है, जिसे बदलना योगी सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं.

शिया वक्फ बोर्ड के दफ्तर में मोहसिन रजा
सूर्य प्रताप शाही ने जब दफ्तर में छापा मारा तो वहां कुछ कर्मचारी तो मौजूद थे ही, लेकिन जब अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसिन रजा ने शिया वक्फ बोर्ड के दफ्तर में छापा मारा तो वहां एक भी कर्मचारी मौजूद नहीं था. अलबत्ता उनकी तरावट के लिए एसी-पंखे चल रहे थे. ये सब देखकर मंत्री मोहसिन रजा आपे से बाहर हो गए.

कर्मचारियों से गैरहाजिरी से मंत्री का पारा चढ़ा
अपने महकमे के साहब बहादुरों पर उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसिन रजा बमके हुए हैं. ये गुस्सा भी बिना वजह नहीं है. मंत्री जी सुबह सवा दस बजे लखनऊ के इंदिरा भवन में शिया वक्फ बोर्ड के दफ्तर पहुंच गए, लेकिन दफ्तर में तो 11 बजे तक न तो कोई अफसर आया और न ही कोई कर्मचारी, फिर क्या था मोहसिन रजा का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया.

दफ्तर के बाबू साहब लोग आए नहीं थे, लेकिन उनकी तरावट के लिए पंखे चल रहे थे, एसी चल रहे थे, ताकि बाबू साहब को गर्मी ना लगे. बिजली की इस फिजूलखर्ची ने मोहसिन रजा का गुस्सा और भी बढ़ा दिया.

कर्मचारियों की मंत्री ने ली क्लास
मंत्री मोहसिन रज़ा कुर्सी डाल कर अपने महकमे के बाबुओं का इंतजार करने लगे. जैसे ही लोगों का आना शुरू हुआ, सवाल जवाब शुरू हो गया. मंत्री जी, दफ्तर में एक तस्वीर देख भड़क गए. मंत्री मोहसिन रजा ने दफ्तर में फाइलों का हाल देखा तो माथा पीट लिया. मंत्री मोहसिन रजा तो ये सोच सोचकर हैरान हुए जा रहे थे कि आखिर इतना लेटलतीफ और आरामपसंद अधिकारी और कर्मचारी फरियादियों की समस्याएं कैसे सुनते होंगे.

मोहसिन रजा अपने महकमे के सरकारी बाबुओं की लेटलतीफी आराम पसंदगी को लेकर गुस्से में थे. उन्होंने हाजिरी रजिस्टर अपने पास रख लिया। वक्फ बोर्ड को भ्रष्टाचार का अड्डा बताया तो वहीं ये भी कह दिया कि वो वक्फ बोर्ड को ही बंद कर देंगे.

सत्ता संभालने के सात ही यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कामकाज को लेकर आक्रामक तेवर दिखाए हैं, तो वहीं उनके मंत्री भी उनके साथ कदमताल कर रहे हैं. व्यवस्था में दशकों की जंग लगी है, सफाई के लिए तेवर कड़े करने ही पड़ेंगे.

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