नागपुर : बाघों का िशकार रोकने के िलए भारत सरकार के राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण िदल्ली की पहल पर महाराष्ट्र में िवशेष व्याघ्र संरक्षण दल की स्थापना की गई। सोचा तो गया था कि दल की भूमिका महत्वपूर्ण होगी और िशकारियों पर शिकंजा कसेगा। परंतु, जो तस्वीर सामने है, उससे तो साफ हो गया है िक इस दल के बस की बात ही नहीं। पेंच व्याघ्र प्रकल्प में विशेष व्याघ्र संरक्षण दल की कार्यप्रणाली पर गौर करें तो हकीकत सामने आती है। 109 जवानों के इस दल पर 4 साल में 10 करोड़ रुपए खर्च हुए। इस कार्यकाल में दल के हाथ 5 साइकिल और 50 िकलो मछली लगी।
पेंच व्याघ्र प्रकल्प के िलए वर्ष 2013 में िवशेष व्याघ्र संरक्षण दल का गठन िकया गया। सहायक वनसंरक्षक को दल का प्रमुख िनयुक्त िकया गया। एक वन परिक्षेत्र अधिकारी के नेतृत्व में 35 कर्मचारी रखे गए। ऐसे तीन दल बनाए गए। तीनों दल में कुल 109 कर्मचारी िवशेष व्याघ्र संरक्षण दल में कार्यरत हैं। इसमें 15 महिला कर्मचारियों का समावेश है। दल के कर्मचारियों का वेतन तथा अन्य खर्च केंद्र पुरस्कृत योजना से िकया जाता है। व्याघ्र प्रकल्पों में बाघों का िशकार रोकना, िशकारियों को पकड़ कर उनके िखलाफ गुनाह दर्ज करना इस दल की जिम्मेदारी है। 4 साल के कार्यकाल में एक भी शिकारी इस दल के हाथ नहीं लगा है।
गश्त तक सीमित कार्य
िवशेष व्याघ्र संरक्षण दल का कार्य केवल जंगल की गश्त तक ही सीमित रह गया है। दैनिक िरपोर्ट बताती है कि दल के जवान जंगल का िनयमित गश्त करते हैं। 4 साल के कार्यकाल में तोतलाडोह में 5 साइकिल और 50 किलो मछली ही पकड़ पाए हैं। वन िवभाग के अधिकारी कहते हैं, िवशेष व्याघ्र संरक्षण दल के गठन के बाद से जंगलों में िशकारियों के भ्रमण पर रोक लगी है।
अधिकारियों के दावे खोखले
पेंच व्याघ्र प्रकल्प से 10 किलोमीटर दूर पवनी वन परीक्षेत्र के साइल बीट में 21 िदसंबर 2016 को एक बाघिन की मृत्यु, नागलवाड़ी परिक्षेत्र के खुबाला क्षेत्र अंतर्गत महारकुंड बीट में 2 सांबर और एक बाघिन की करंट से हुई मौत, कोलीतमारा वन परिक्षेत्र में 4 साल के बाघ की मृत्यु, पूर्व पेंच वन परीक्षेत्र के कोअर जोन पीओआर क्र. 64/5 में 14 जनवरी को बाघ की मृत्यु हुई है। इन बाघों की मृत्यु के बाद व्याघ्र प्रकल्पों में िशकारियों के भ्रमण पर रोक लगने का दावा खोखला साबित होता है। हालांकि मृत्यु के कारण अभी स्पष्ट नहीं हो पाए हैं।
इनकी सुनिए….
वन िवभाग के िनयमित कर्मचारियों के साथ विशेष व्याघ्र संरक्षण दल काम करता है। जो भी कार्रवाई होती है, संबंधित बीट के कर्मचारी को आगे िकया जाता है। इसलिए मूल्यांकन नहीं हो पाता। दल के अधिकारियों को अपने कार्यों की िरपोर्ट देने की सूचना दी है, ताकि कार्यों का मूल्यांकन हो सके।
-माणिकराव कोटरंगे, सहायक वनसंरक्षक, िवशेष व्याघ्र संरक्षण दल प्रमुख
सन 2013 से 2016 तक वेतन पर हुआ खर्च
सहायक वनसंरक्षक 14,14,686 रु.
3 वन परीक्षेत्र अधिकारी 32,15,756 रु.
79 वनरक्षक 3,98,71699 रु.
26 वन निरीक्षक 4,43,17926 रु.
4 साल में कर्मचारी भत्तों पर हुआ खर्च : 76,80000
(900 रु. प्रकल्प भत्ता और 700 रु. राशन भत्ता हर माह)
4 साल में वाहन का ईंधन खर्च – 49,78056