नागपुर : बहुचर्चित खैरलांजी प्रकरण में भोतमांगे परिवार के मुखिया भैयालाल भोतमांगे की शुक्रवार को दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई। शुक्रवार को ही उन्हें उपचार के लिए भंडरा से यहां के धंतोली स्थित श्रीकृष्ण हृदयालय एंड हार्ट केयर सेंटर में लाया गया था। उनकी मृत्यु की खबर सुनते ही िवविध बहुजनवादी संगठनों के कार्यकर्ता अंतिम दर्शन के लिए अस्पताल पहुंचे।
29 सितंबर 2006 में भंडारा जिले के आंधलगांव के पास खैरलांजी में भोतमांग परिवार पर हमला हुआ था। हमले में भैयालाल बचा था। उसके परिवार में पत्नी, पुत्री व दो पुत्रों की हत्या कर दी गई। भोतमांगे परिवार की महिला सदस्यों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया था। उन्हें निर्वस्त्र कर सार्वजनिक रूप से घुमाया गया था और दुर्व्यवहार किया गया था। साथ ही दोनों बेटों को भी निर्वस्त्र कर पीटा गया था।
मामले को लेकर जनांदोलन भड़का था। तत्कालीन आघाड़ी सरकार की आलोचना हुई थी। दलित दमन के तौर पर प्रकरण को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाया गया था। देश विदेश के नेता , पत्रकार व िवविध क्षेत्रों के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने खैरलांजी पहुंचकर घटना की आलोचना की थी। संवाद माध्यमों में यह प्रकरण कई महीनों तक सुर्खियों में रहा। लघु फिल्मों के अलावा जनजागृति गीतों के माध्यम से खैरलांजी प्रकरण को उठाया गया। मराठी फिल्म खैरलांजी च्या माथ्यावर के माध्यम से पूरे प्रकरण को उठाया गया था। सरकार ने िनष्पक्ष जांच के िलए सीबीआई को जिम्मेदारी दी। जानेमाने अधिवक्ता उज्जवल निकम को सरकारी अधिवक्ता नियुक्त किया गया था। भैयालाल भोतामांगे को आर्थिक सहायता के अलावा सरकारी सेवा में भी स्थान िदया गया। दिसंबर 2006 में सीबीआई ने 11 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए थे, जिसमें महिलाओं के साथ दुराचार करने, हत्या के साथ आपराधिक षड्यंत्र रचने आदि के मामले शामिल थे। सितंबर 2008 में 6 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई। हालांकि, 14 जुलाई 2010 को नागपुर उच्च न्यायालय ने छह आरोपियों की फांसी की सजा को 25 साल सश्रम कारावास में बदल िदया था।