नागपुर: भू-खंड नियमितीकरण के लिए नागपुर सुधार प्रन्यास की ओर से चलाई गई विविध योजनाओं में करीब 22 हजार करोड़ रुपए का घोटाला होने का मुद्दा बाम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में दायर एक जनहित याचिका के माध्यम से उठाया गया। याचिकाकर्ता अनिल गया प्रसाद मिश्रा का दावा है कि नासुप्र ने 29 जून 2011 को करीब 572 भू-खंडों को नियमित करने का प्रस्ताव पारित किया था। इसमें उद्यान, सार्वजनिक रास्तों जैसी सुविधाओं के लिए जगह छोड़ने का प्रावधान था। लेकिन एनआईटी ने किसी भी सुविधा का ख्याल रखे बगैर नागरिकों को बेतरतीब ढंग से भू-खंड लेआउट मंजूर करके दिए। व्यवस्थित शहर रचना की जिम्मेदारी संभाल रहे नासुप्र की मनमर्जी का असर आज शहर में दिख रहा है। इस मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में विविध पहलुओं को देखते हुए हाईकोर्ट ने इसे जनहित याचिका मानने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता के अनुसार भू-खंडों को मंजूर करने के लिए नासुप्र को नगर विकास विभाग विभाग के सचिव की अनुमति लेनी चाहिए थी। मगर ऐसा कुछ नहीं किया गया। याचिकाकर्ता के अनुसार सूचना के अधिकार में जानकारी मांगने पर नासुप्र ने उन्हें जवाब दिया कि उन 572 भू-खंडों के नियमतीकरण से संबंधी कोई अांकड़े उनके पास नहीं हैं। लेकिन इस मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में कोर्ट याचिका के तथ्यों से संतुष्ट नहीं हो सका। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को दोबारा सही तथ्यों और जानकारी के साथ याचिका दायर करने को कहा है।