मोटर मेकैनिक को बेटा भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में बना वैज्ञानिक

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हजारीबाग (झारखंड) : हजारीबाग, झारखंड के छोटे से कस्बे चौपारण निवासी कलीमुद्दीन अपने पुत्र की सफलता पर बेहद खुश हैं। जिंदगी में जोरदार संघर्ष की गाथा सुनाते हुए उनकी आंखों में आंसू भर आते हैं। उन्होंने कहा कि कामिल को पढ़ाने के दौरान उन्हें कई बार करीबियों से सहयोग लेना पड़ा। जमीन भी बेचनी पड़ी। इसके बावजूद प्रयास जारी रहा। कलीमुद्दीन बताते हैं कि वे स्वयं हाईस्कूल (मैट्रिक) पास हैं, लेकिन अपने बेटे को हाईस्कूल तक उन्होंने स्वयं पढ़ाया। अब उनकी तमन्ना है कि कामिल वतन की सेवा करते हुए काफी नाम कमाए।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कहा करते थे, सपने तो वो हैं जिन्हें खुली आंखों से देखा जाए..। उन्होंने खुद भी ऐसा किया था। तभी उनके रूप में दुनिया को करिश्माई ‘मिसाइल मैन’ मिला। हजारीबाग, झारखंड के छोटे से कस्बे चौपारण में कामिल होदा नाम के होनहार युवक ने भी खुली आंखों में बड़ा सपना संजोया और उसे साकार कर दिखाया। कलाम के नक्शेकदम पर चलता दिख रहा कामिल आज देश के सर्वोच्च परमाणु अनुसंधान संस्थान भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी में बतौर सहायक वैज्ञानिक पदस्थ होने जा रहा है।
कमाल के कामिल-कलीमुद्दीन : कामिल के पिता मुहम्मद कलीमुद्दीन बीते 25 सालों से स्थानीय ट्रक स्टैंड में ट्रक और मोटर-गाड़ियां ठीक करने का काम कर रहे हैं। कामिल की सफलता में कलीमुद्दीन का त्याग और परिश्रम भी छिपा है, जिन्होंने अपने बेटे की मेहनत, लगन और प्रतिभा को देखते हुए कर्ज लेकर भी उसे पढ़ाया। बकौल कामिल, यह अब्बा की अपने काम के प्रति असाधारण लगन का परिणाम है। उनकी लगन ने प्रेरित किया और इस मुकाम पर पहुंचाया।

मंजिलें अभी बाकी हैं : यह फर्श से अर्श तक पहुंचने की अविश्वसनीय दास्तान है। एक ऐसा युवक जिसने बेहद गरीबी, तंगहाली और संसाधनों की कमी को सहते हुए अपनी मेहनत, लगन और विश्वास से इतिहास रच दिया। कामिल होदा का सपना केवल यहां पहुंचने तक सीमित नहीं था। उसकी खुली आंखों में भारत के मिसाइल मैन पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की तरह एक करिश्माई वैज्ञानिक बनने का सपना झलकता है। कामिल ने अपनी आरंभिक शिक्षा चौपारण के सरकारी माध्यमिक विद्यालय से पूरी की। हाईस्कूल केबीएसएस प्लस टू विद्यालय से और इंटर की पढ़ाई आनंदा कॉलेज हजारीबाग से 2009 में की। फिर धनबाद स्थित सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। इसके बाद कुछ समय तक छोटी-मोटी नौकरी भी की और फिर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, बीएआरसी, बार्क) की 2017 में हुई भर्ती परीक्षा में देश में दूसरा स्थान हासिल कर सहायक वैज्ञानिक पद प्राप्त किया।

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