वीसीए ने कहा, क्रिकेट मैच के पास नहीं दिए तो पुलिस ने कर ली िरपोर्ट दर्ज

-बगैर अनुमति जामठा स्टेडियम में 29 जनवरी को भारत-इंग्लैंड के बीच मैच कराने का मामला गर्माया -विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन ने एफआईआर को दी हाईकोर्ट में चुनौती, नागपुर पुलिस को फटकारा -हाईकोर्ट ने कहा, पुलिस सरासर वसूली पर उतर आई है, अधिकारों का दुरुपयोग कर रही है आरोप... -217 पास का प्रबंध किया गया था, मगर पुलिस वाले मांग रहे थे 500 पास -बदले की भावना से पुलिस ने स्टेडियम को असुरक्षित करार दिया -पास के लिए वीसीए पर लगातार दबाव बना रहा था पुलिस विभाग

-बगैर अनुमति जामठा स्टेडियम में 29 जनवरी को भारत-इंग्लैंड के बीच मैच कराने का मामला गर्माया
-विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन ने एफआईआर को दी हाईकोर्ट में चुनौती, नागपुर पुलिस को फटकारा
-हाईकोर्ट ने कहा, पुलिस सरासर वसूली पर उतर आई है, अधिकारों का दुरुपयोग कर रही है
आरोप…
-217 पास का प्रबंध किया गया था, मगर पुलिस वाले मांग रहे थे 500 पास
-बदले की भावना से पुलिस ने स्टेडियम को असुरक्षित करार दिया
-पास के लिए वीसीए पर लगातार दबाव बना रहा था पुलिस विभाग

नागपुर : बगैर अनुमति 29 जनवरी को जामठा स्टेडियम मंे भारत-इग्लैंड के बीच क्रिकेट मैच कराने का मामला गर्मा गया है। पुलिस विभाग ने विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन (वीसीए) के आला पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज कर ली, अब भारी पड़ने लगी है। वीसीए ने एफआईआर रद्द करने के लिए बाम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ मंे याचिका दायर की है। वीसीए के अधिवक्ता सुनील मनोहर ने कोर्ट को बताया कि मैच के वीआईपी पास के लिए पुलिस विभाग की ओर से लगातार वीसीए पर दबाव बनाया जा रहा था। वीसीए ने पुलिस विभाग के लिए 217 पास का प्रबंध किया था। मगर 500 पास की मांग की जा रही थी। वीसीए इस मांग को पूरा नहीं कर पाया। आरोप है कि पुलिस िवभाग ने बदले की भावना से पदाधिकारियों के िखलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है। यह सब सुनते ही कोर्ट ने पुलिस विभाग को जमकर फटकारा। कोर्ट ने कहा, लग रहा है पुलिस विभाग अब सीधे वसूली पर उतर आया है। प्राथमिक रूप से तो यही लग रहा है कि पुलिस विभाग अपने अधिकारों का गलत उपयोग कर रहा है। विभाग को जहां दर्शकों की सुरक्षा करनी चाहिए, वह अपने लिए मैच देखने के विशेष प्रबंध कर रही थी। अगर ऐसा है तो सुरक्षा के नाम पर सारे पुलिस महकमे को स्टेडियम मंे बैठा दिया जाए। ऐसा रवैया अगर स्वयं पुलिस का है, तो आम नागरिक कहां जाएं? यह प्रश्न भी कोर्ट ने उठाया है।

स्टेडियम को असुरक्षित बताने वाले ही वीआईपी बॉक्स में बैठकर देख रहे थे मैच : वीसीए ने कोर्ट को जानकारी दी कि स्टेडियम को असुरक्षित बता कर मामला दर्ज करने वाले पुलिस विभाग के आला अधिकारी स्वयं स्टेडियम के वीआईपी बॉक्स मंे बैठ कर मैच देख रहे थे। अधिकारियों के पास न तो वहां बैठने की अनुमति थी, न ही कोई पास। यहां तक की कुछ अधिकारी तो स्टेडियम के अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र जहां सीसीटीवी कैमेरे ऑपरेट किए जा रहे थे, वहां बगैर अनुमति घूम रहे थे। इस पर कोर्ट ने कड़े तेवर अख्तियार किए हैं। कोर्ट ने कहा कि वीआईपी बॉक्स मंे बैठे अधिकारी किस तरह अपना फर्ज निभा रहे थे। अगर मौके पर कोई घटना होती, तो एसी बॉक्स में बैठ कर अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था कैसे सुनिश्चित करते? कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी मंे पुलिस आयुक्त को वीआईपी बॉक्स मंे बैठ कर मैच देखने वाले अधिकारियों पर होने वाली कारवाई के बारे में पूछा है।

गजब है.. ऐन वक्त पर अनापत्ति प्रमाण पत्र की अर्जी खारिज कर दी : वीसीए ने कोर्ट को बताया कि मैच के काफी समय पूर्व वीसीए ने पुलिस आयुक्त को अनुमति के बारे में पूछा था। पुलिस आयुक्त ने बताया था कि नए जीआर के तहत मैच के लिए पुलिस की किसी अनुमति की जरूरत नहीं है। मगर अनापत्ति प्रमाण पत्र जरूरी है। वीसीए का आरोप है कि पास का प्रबंध न कर पाने से पुलिस ने मैच से एक रात पहले अनापत्ति प्रमाणपत्र की अर्जी खारिज कर दी।

कैसे असुरक्षित है स्टेडियम, बताइए… : स्टेडियम को असुरक्षित बताने के मुद्दे पर अब कोर्ट ने पुलिस काे जांच रिपोर्ट तैयार करने के आदेश दिए हैं। पुलिस को रिपोर्ट में कोर्ट को बताना होगा कि स्टेडियम असुरक्षित कैसे है। पुलिस को एक सप्ताह में कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है। तब तक वीसीए पदाधिकारियों पर कोई भी कड़ी कारवाई न करने के आदेश हाईकोर्ट ने दिए हैं।

फिलहाल मामला कोर्ट में है। इसलिए मेरा कुछ भी िटप्पणी करना मुनासिब नहीं है।

-आनंद जायसवाल, अध्यक्ष, िवदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन

वीसीए ने कोर्ट में जो भी आरोप पुलिस विभाग पर लगाए हैं, हर एक का जवाब हमारे पास है। हम कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे।

-डॉ. के.व्यंकटेशम, पुलिस आयुक्त, नागपुर

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