हम बेरोजगार हैं… हमारा कुछ करिए

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दो दिन पूर्व पटना शास्त्रीनगर स्थित सर्वे प्रशिक्षण के संस्थान के सामने हुए अमीन अभ्यर्थियों का अर्द्धनग्न प्रदर्शन तो बानगी भर है। बेरोजगारी की आग में जलते युवाओं की पीड़ा हर कोई समझ नहीं सकता। उसकी यह पीड़ा उसके घरवाले ही समझते हैं या फिर वह खुद। दरअसल, उस पिता से पूछिए- जो पाई-पाई जोड़कर अपने बेटे को सरकारी नौकरी के लालच में फार्म भरवाने के लिए फीस चुकाता है। इस उम्मीद के साथ कड़ी धूप में पसीना बहाता है कि आज नहीं तो कल उसका लाड़ला सरकारी बाबू बनेगा और घर की जिम्मेदारी संभालेगा। उस बेरोजगार से पूछिए- जिसने परीक्षा से लेकर अन्य औपचारिकताएं पूरी कर लीं। फिर भी नौकरी नहीं मिली। एक-एक कमरे में चार-चार दोस्तों के साथ पटना जैसे शहर में रहता है। किराया से लेकर खाना तक का खर्च झेलता है। बस इस आस में कि उसे एक अदद सरकारी नौकरी मिलेगी और सपना पूरा होगा। अफसोस सरकारी हुक्मरानों के कान तक इनकी तड़प नहीं पहुंच पाती है। पूरी मशीनरी बहरी हो चुकी है।
इनका क्या कसूर : कोरोना जैसी महामारी के समय किसी को शौक नहीं कि वह अपने घर से निकले और पटना तक का सफर तय करे। करीब 70 किलोमीटर का सफर तय कर पटना पहुंचे रजनीश कुमार सिंह सारण जिला के मढ़ौरा के रहने वाले हैं। मुबारकपुर गांव में रहकर वह अपना भरण-पोषण किस तरह कर रहे हैं, वही जानते हैं। खेती-बाड़ी के साथ सरकारी नौकरी की तैयारी करते हैं। दो दिन पहले वह भी जान जोखिम में डालकर पटना पहुंचे। इनके अलावा राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज अमीन छात्र संघ के राजीव कुमार सिंह, त्रिभुवन, मनीष कुमार, हीरा मिश्रा, राहुल महतो, वीरेंद्र दास, सुमित कुमार, धीरज आदि भी विभिन्न जिलों से पटना तक का रास्ता तय किया। ऐसा नहीं है कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में ये लोग पिकनिक मनाने पटना गए, बल्कि सरकार ने जो इनके साथ छलावा किया, उसके खिलाफ आवाज बुलंद करने पहुंचे।
यह है मामला : बेरोजगार अमीनों की मानें तो राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने मार्च 2019 में सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी के 275, विशेष सर्वेक्षण अमीन के 4950, लिपिक के 550 पद और अमीन के 550 पद के लिए आवेदन मांगा था। सफल 1375 अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग और प्रमाण पत्रों की दो बार जांच हुई। इसके बाद भी परिणाम घोषित नहीं किया गया। संघ के सचिव दिलीप जायसवाल कहते हैँ- सरकार हमारे साथ छलावा कर रही है।
नंगा होने का शौक नहीं जनाब : अभ्यर्थियों की पीड़ा उनसे बात करने पर छलक पड़ती है। कहते हैँ- नंगा प्रदर्शन करने का भला किसे शौक है। इस महामारी के दौर में भला घर से कोई निकलता है। हमें भी जान का भय है। हम भी जीना चाहते हैं। बावजूद इसके जान हथेली पर लेकर पटना पहुंचे। पाई-पाई जोड़ कर किराया जुटाया। घर से पटना के लिए रवाना होते हैं तो परिवारवालों के चेहरे पर खौफ दिखता है। पता नहीं, पटना में उनके बेटे के साथ क्या हो जाए। पर न सरकार सुन रही है, न अफसर। जनप्रतिनिधि भी आवाज उठाने को तैयार नहीं। पटना शास्त्रीनगर स्थित सर्वे प्रशिक्षण के संस्थान के सामने दर्जनों युवाओं ने एक बार फिर जोरदार प्रदर्शन किया। इससे पहले भी वह कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं, पर न्याय का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा।

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