40 साल पहले सर्पदंश से मर चुकी महिला घर लौटी

कानपुर के बिधनू कस्बा महिला को करीब 40 वर्ष पहले सांप ने काटा था। महिला की मौत हो गई थी। अंतिम संस्कार करने के बाद गंगा नदी में उसको प्रवाहित भी कर दिया था।

कानपुर के बिधनू कस्बा महिला को करीब 40 वर्ष पहले सांप ने काटा था। महिला की मौत हो गई थी। अंतिम संस्कार करने के बाद गंगा नदी में उसको प्रवाहित भी कर दिया था।

कानपुर । कानपुर के बिधनू में कस्बे में एक ऐसा प्रकरण सामने आया है, जिसके बाद से सिर्फ कस्बा नहीं जिले में खलबली मच गई है। यहां एक ऐसी महिला घर लौट कर आ गई है, जिसकी मौत करीब 40 वर्ष पहले हो गई थी और घर के लोगों ने उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया था।

यह कोई फिल्म की कहानी नहीं वरन हकीकत है। एक महिला जिसकी 40 वर्ष पहले सांप के काटने से ‘मौतÓ हो गई थी वह अपने घर लौट आई। इससे सब अचंभित हैं। बिधनू के इनायतपुर गांव की विलासा देवी की कहानी आसपास के गांवों में जिसने भी सुनी वह उन्हें देखने पहुंच गया। दिनभर उनके घर पर लोगों का तांता लगा रहा। 32 वर्ष की विलासा देवी को जिन लोगों ने गंगा में प्रवाहित किया था, उन लोगों ने भी उनकी पहचान कर ली। सांप के काटने के बाद लंबे समय तक उनकी याददाश्त गायब रही।

पतारा निवासी विलासा देवी की पहली शादी धीरपुर चरैया के छेद्दू से हुई थी। उनके दो बच्चे राजकुमारी व मुंशीलाल थे। पति से अनबन पर उन्होंने दूसरा विवाह इनायतपुर के कल्लू से कर लिया था। उनकी और कल्लू की चार संतान हैं। 32 साल की उम्र में एक रात सोते समय सांप ने उनके हाथ में काट लिया था। घर वालों ने मृत समझ उन्हें जाजमऊ के सिद्धनाथ घाट में गंगा में प्रवाहित कर दिया था।

वही विलासा देवी 40 वर्ष बाद दोबारा अपने गांव पहुंचीं हैं। परसों शाम वह अपने गांव पहुंची तो लोगों की भीड़ लग गई। विलासा का कहना है कि गंगा में प्रवाहित होने के बाद वह बहते हुए इलाहाबाद पहुंच गई थीं और गंगा किनारे एक मंदिर के पास बेहोशी की हालत में मल्लाहों को मिली थीं।

उनकी याददाश्त चली गई थी। इसके बाद वह तीन साल तक वहीं मंदिर में रही। इसके बाद वहीं उन्हें कन्नौज के सराय ठेकू गांव निवासी रामशरण मिले। उसने उनसे शादी की और साथ चली गई। धीरे-धीरे साल दर साल गुजरते गए। कुछ वर्ष पहले उन्हें अपनी पुरानी जिंदगी याद आने लगी। विलासा के मुताबिक जब उन्हें सबकुछ याद आ गया तो उन्होंने अपने बच्चों के पास जाने की जिद की लेकिन पति ने उनको जाने नहीं दिया। करीब एक साल पहले पति की मौत हो गई। इसके बाद उनकी सराय ठेकू में ब्याही धीरपुर गांव की युवती से मुलाकात हुई। बातचीत में उन्होंने अपने घर और बच्चों के बारे में बताया। युवती ने गांव आकर उनके परिवार को जानकारी दी। इसपर राजकुमारी, मुंशीलाल इनायतपुर निवासी अपने सौतेले भाइयों संग वहां गए और उन्हें गांव ले आए।

मिला परिवार

विलासा जिन बच्चों को गोद में छोड़कर गई थीं वे 50-55 साल के हो गए हैं और उनका भरा पूरा परिवार है। इनायतपुर गांव के रामलाल, मातादीन, चेतराम व भिखारीलाल ने बताया कि वे लोग अंतिम संस्कार में गए थे और उन्हें गंगा में प्रवाहित किया था। विलासा का कहना है कि यह ईश्वर का चमत्कार ही है। मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरा सब कुछ वापस लौट आया। मेरे परिवार में जश्न का माहौल है। मेरी बहनें इतनी खुश है, जिसका ठिकाना नहीं है। मेरी मां की धीरपुर गांव में भी रिश्तेदारी है। वह पहले वही रहती थी। धीरपुर गांव की एक लड़की, जिसकी शादी तेजपुर गांव में हुई थी।

विलासा ने बताया कि तेजपुर गांव की वह बहू थी तो उसका घर से निकलना बहुत कम था। किसी तरह मां की मुलाकात उस लड़की किरन से हो गई। मां और किरन के बीच अक्सर बातचीत होने लगी, तभी बातों-बातों में किरन ने मां पूछा की आप कहां कि रहने वाली है तो वह धीरपुर और इनायत पुर गांव की बात बताने लगी.

विलास के बेटे बताते हैं कि यह बात किरन ने धीरपुर में रहने वाले रिश्तेदार को बताई तो वह एक दिन इनायतपुर आए तो पूरी बात बताई, इसके बाद विलास अपने घर लौट आई।

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