दुनिया में सभी लोगों को एक न एक दिन इस खूबसूरत जहां को अलविदा कहना होता है, मगर दुनिया में कुछ लोग सिर्फ जीने के लिए आते हैं, मौत महज उनके शरीर को खत्म करती है. ऐसे ही जांबाजों में से एक भारत की बहादुर बेटी अंतरिक्ष परी कल्पना चावला थीं | उनका जन्म 17 मार्च् सन् 1962 में एक भारतीय परिवार में हुआ था। उसके पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला और माता का नाम संजयोती था। वह अपने परिवार के चार भाई बहनो में सबसे छोटी थी। घर में सब उसे प्यार से मोंटू कहते थे।
जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा से बचपन से ही प्रभावित रही कल्पना चावला बचपन से ही अंतरिक्ष में घूमने की कल्पना करती थी। लगन और जुझार प्रवृति -कल्पना का सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण था |
एसटीएस-107 मिशन के दौरान 1 फ़रवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्षयान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया। देखते ही देखते अंतरिक्ष यान और उसमें सवार सातों यात्रियों के अवशेष टेक्सास नामक शहर पर बरसने लगे और सफ़ल कहलया जाने वाला अभियान भीषण सत्य बन गया। इस तरह कल्पना चावला के यह शब्द सत्य हो गए,” मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूँ। प्रत्येक पल अंतरिक्ष के लिए ही बिताया है और इसी के लिए ही मरूँगी।“
ट्विटर -फेसबुक पर भी कल्पना चावला के प्रेरनामायी विचारों को याद किया गया
अपने ज्ञान और परिश्रम से अंतरिक्ष का सफर तय करने वाली भारतीय मूल की पहली अंतरिक्षयात्री कल्पना चावला के जन्मदिन पर मेरा नमन। उनकी कहानी देश की लाखों बेटियों को जीवन मे आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रहेगी। pic.twitter.com/A3T9XZ6Lsz
— Chowkidar Piyush Goyal (@PiyushGoyal) March 17, 2019
A role model and an inspiration to every Indian girl, she taught every little girl sitting in every corner of this country to work hard and chase her dreams, no matter what. Tributes to astronaut #KalpanaChawla, first Indian women to go to the space, on her birth anniversary. pic.twitter.com/I3NU7r1WQT
— ABVP (@ABVPVoice) March 17, 2019