झूठी बारिश

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बाहर बूंदा बूंदी बारिश हो  कर थम चुकी थी मगर इस बारिश से परेशान रमन अब भी दफ्तर की खिड़की से बाहर देख कर काफी कुढ़ रहा था | रमन खुद मन ही मन बोले जा रहा था जब बारिश होनी ही थी तो अच्छे से हो जाती इस बारिस से गर्मी और बढ़ जाएगी और फिर मेघा जो बार बार एयर कंडीशन के लिए तंग कर रही है आज तो घर सर पे उठा लेगी | उसने एक बार सोचा चलो क़िस्त पर एयर कंडीशन ले लेते है पर पहले से चल रही किस्तों  का क्या होगा | अभी यही सब उधेड़बुन रमन के मन मे चल ही रहा था की गाँव से माँ का फ़ोन आया ,माँ की आवाज़ मे कुछ चिंता थी रमन ने पूछा क्या हुआ  … माँ ने गहरी साँस लेने के बाद कहा अगर इस साल गाँव वाले घर की मरम्मती न कराई जाये तो ये अब नहीं चलने वाली | रमन ने ऑफिस मे कुछ काम है कहकर माँ का फ़ोन रखा | रमन अब यही सोच रहा था की हमे अपने पक्के मकान मे एयर कंडीशन की जरुरत है नाकि गाँव वाले कच्चे मकान को मरम्मती की ?

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