फेसबुक पर बार बार शेयर की गयी एक पोस्ट की दुखद कथा

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कुछ दिनों पहले की बात है  हमारे मुहल्ले के शर्मा जी का  ८ वर्षीय लड़का आयुष स्कूल बंद हो जाने के 4 घंटे बाद भी घर वापस नहीं लौटा था | स्कूल और  सभी दोस्तों के घर मे पता लगा लिया गया था मगर कोई खबर नहीं मिली थी |मुहल्ले  के कई सारे लोग मोटर बाइक लेकर आयुष को इधर-उधर ढूढ रहे थे | इसी बीच शर्मा जी के भतीजे चिंटू ने कहा क्यों नहीं आयुष की फोटो फेसबुक पर डाल कर लोगों से मदद मांगी जायी | एक 16 वर्षीय लड़के द्वारा दीया गया यह सुझाव सभी को भाया और आयुष की फोटो  2-3 मोबाइल नंबर और पते के साथ  डाल कर लोगो से आयुष को ढूंढने मे मदद की अपील की गयी | आधे घंटे मे ही 2000 से ज्यादा शेयर और ढेर सारे लाइक इस पोस्ट को मिल चुकी थी | कई सारे लोगो ने बच्चे के सकुशल घर लौटने की कामना करते हुए  पोस्ट पे कमेंट भी  कर दिया था  | सब चिंटू  के इस सुझाव के लिए प्रसंशा कर रहे थे |कुछ देर बाद स्कूल का दरवान चिंटू को लेकर आया और कहा की वो गलती से कमरे मे ही बंद हो गया था | सभी को चिंटू को देख कर बड़ा सुकुन आया मुहल्ले के कई सारे लोगो ने स्कूल मैनेजमेंट को  इस लापरवाही के लिए जमकर लताड़ लगायी और क़ानूनी करवाई की धमकी दी | शर्मा जी ने अपने घर मे जमी भीड़ का उनकी सहायता के लिए तहे दिल से अभिवादन किया इसके साथ ही चिंटू को पैसे देकर सभी के लिए मिठाई लाने को कहा | सभी मिठाई खा कर अपने अपने गंतव्य को रवाना हो गये |

असल समस्या अगले दिन आई सुबह आयुष मुहल्ले से कुछ दूर मदर डेरी का दूध लाने गया था ,वहा कुछ लोगो ने आयुष को देखने के बाद उससे उसका घर का पता पूछ घर को ले आये और शर्मा जी से कहा ये रहा आपका बेटा | आगे से ख्याल रखा करे बच्चे को अकेला न छोड़ा करे | शर्मा जी ने उन्हें बताया की बच्चा कल ही घर को लौट चूका है  तब उस भाई साहब ने कहा की हमने तो फेसबुक पर देखा था की बच्चा लापता है इसलिए लेकर चले आये | इसके बाद आयुष को कभी कोई खेल के मैदान से तो कभी कोई स्कूल के पास से तो कभी मुहल्ले के बाहर का व्यक्ति मुहल्ले से ही उसको घर ला के छोड़ जाता था | शर्मा जी फेसबुक पर शेयर की गयी एक पोस्ट के कारन बहुत परेशान हो गये थे | चिंटू ने तो पोस्ट भी डिलीट कर दी  थी पर  अन्य कई  व्यक्ति ने भी फेसबुक पर लोगो से अपील करने के लिए चिंटू की फोटो वगैरह डाल कर पोस्ट किया था | महीने बीत चुके थे अभी भी आयुष को कई लोग गर्व से आकर घर छोड़ जा रहे थे | शर्मा जी ने आयुष को यह भी कहा था की लोगो को घटना के बारे मे बताना और कहना की अब मुझे घर पहुचाने की कोई जरुरत नहीं है पर कुछ लोग कहा मानने वाले थे वे छोटे बच्चे की बात पर विश्वास न कर अभी भी उसे घर पंहुचा जा रहे थे | इन सब घटनाओं से परेशान शर्मा जी ने आयुष को कहा की अब कोई घर पहुचाने की जिद करे तो मेरी बात करा देना | घटना को दो साल हो गये अब भी आयुष के खो जाने वाला फेसबुक पोस्ट लोगो के द्वारा साझा (शेयर ) किया जा रहा था  | महीने मे १-२ लोग मिले जाते है जो आयुष को खोया हुआ बच्चा समझ कर उसे घर छोड़ने को उतारू हो जाते है पर आयुष अपने पापा से बात कराकर किसी तरह इन संकटों  से बाहर निकल पाता  है |

हम फेसबुक मे कुछ भी शेयर करने के पहले कभी यह नहीं सोचते है कि यह कब की पोस्ट है ये सच या झूठ  है ?

बात वही है किसी भी तकनीक का इस्तेमाल सुझबुझ के साथ होना चाहिए नहीं तो वो हद से ज्यादा घातक हो सकता है |

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