मांग में सिंदूर सजाना सुहागिन स्त्रियों का प्रतीक मन जाता है। यह जहाँ मंगलदायक मन जाता है, वही इसमें स्त्रियों के रूप-सौंदर्य में भी निखार आ जाता है। मांग में सिंदूर सजाना एक वैवाहिक संस्कार भी है। विवाह के अवसर पर वर वधू की मांग चुटकी भर सिंदूर से सजाता है। इसके बाद विवाहिता अपने पति की दीर्घायु की कामना करते हुए जीवन भर अपनी मांग में सिंदूर सजाती है। लेकिन पति की मृत्यु के बाद पत्नी अपनी मांग में सिंदूर सजाना बंद कर देती है।
शरीर रचना विज्ञानं के अनुसार सौभाग्यवती स्त्रियां मांग में जिस स्थान पर सिंदूर सजाती हैं, वह स्थान ब्रह्मरंध्र और अहिम नमक मर्म स्थल के ठीक ऊपर है। स्त्रियों का यह मर्म स्थल अत्यंत कोमल होता है। इसकी सुरक्षा के निमित्त स्त्रियां यहाँ पर सिंदूर लगाती हैं। सिंदूर में पारा जैसी धातु अधिक मात्रा में होती है। इस कारण चेहरे पर जल्दी झुर्रियां नहीं पड़ती और स्त्री के शरीर में विद्युतीय उत्तेजना नियंत्रित होती है।
विवाहित स्त्रियां अपनी मांग मे सिंदूर क्यों सजाती हैं?
